सांगा यात्रा पहुंची सिवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के नेतृत्व में निकली सांगा यात्रा

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सिवान :– पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सारण सांसद राजीव प्रताप रुडी की सांगा यात्रा आज सिवान जिले में संपन्न हुई। यात्रा का आगाज एकमा से हुआ, जहाँ स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। इसके पश्चात यात्रा सिसवन पहुँची, जहाँ महाराणा प्रताप चौक पर स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सांसद ने शौर्य और गौरव को नमन किया तथा ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया।

इस दौरान सीवान से जदयू नेता अजय सिंह, कामेश्वर सिंह मुन्ना, सोनू सिंह, विमल प्रताप सिंह, कामेन्द्र सिंह, बबलू सिंह, मनीष सिंह, नीतेश सिंह, दिलीप सिंह मुखिया, अमित सिंह, परमानंद सिंह, अनिल सिंह, राजू सिंह, पवन सिंह, देवेन्द्र सिंह, रिंकु सिंह, जटा शंकर सिंह, संजय सिंह, सिबु सिंह, विजय सिंह, रविंदर सिंह मुखिया, सरोज सिंह राणा, ऋषभ सिंह, कविंदर सिंह, शैलेश सिंह, देवेंद्र सिंह मुखिया, पप्पू सिंह, चंदन सिंह और बिट्टू सिंह सहित अनेक सम्मानित जन उपस्थित थे।

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सांगा यात्रा के दौरान सारण सांसद रुडी का रघुनाथपुर ब्लॉक परिसर, अदमापुर, संठी मोड़, कसीला मोड़ और दरौली मोड़ पर भी लोगों ने ढोल-नगाड़ों, जयघोष और परंपरागत आतिथ्य के साथ स्वागत किया। सांगा यात्रा में दोन के सेवा कुंज मैरेज हॉल और तितिरा के गौरी मैरेज हॉल में आयोजित सभाओं में सांसद श्री रुडी ने समाज के लोगों को संबोधित किया। दोन में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए श्री रुडी ने कहा कि क्षत्रिय समाज को अपनी राजनीतिक पहचान मजबूत करनी होगी। उन्होंने कहा कि समाज ने आखिरकार गारंटर ढूंढ ही निकाला है। अन्य समाज अपने नेताओं को पोस्टर बॉय बनाकर राजनीतिक पहचान दिलाते हैं, अब क्षत्रिय समाज को भी अपने नेतृत्व को आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने बाबू वीर कुंवर सिंह और महाराणा प्रताप की परंपरा का स्मरण कर समाज से संघर्ष और आत्मसम्मान की राह पर चलने का आह्वान किया।

अपने राजनीतिक जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि वे सात बार सांसद और एक बार विधायक बने हैं, लेकिन यह अनुभव वे समाज की सेवा के लिए समर्पित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं नेता बनकर नहीं, बेटा बनकर आया हूँ। सुख-दुख में साथ रहना ही मेरा धर्म है। क्षत्रिय समाज के सम्मान और अधिकारों के लिए हर संघर्ष हेतु मैं तत्पर हूँ। सभा में युवाओं से कहा कि वे दूसरों के पीछे न चलकर अपने समाज के नेतृत्व को आगे बढ़ाएँ। उन्होंने “जय सांगा” नारे को समाज की पहचान का सूत्र बताया और कहा कि यह नारा क्षत्रिय गौरव और एकता का प्रतीक है। सभा में बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिलाएँ, युवा और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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