सिवान : लंपी जैसे खतरनाक संक्रमण से बचाने के लिए अब पशुपालन विभाग ने पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की तैयारी की है। इसके लिए सभी प्रखंड मुख्यालय व गांवों में पारंपरिक पद्धती से बनाए गए आयुर्वेदिक दवा (अलग-अलग जड़ी-बुटी) के मिश्रण को पशुओं को खिलाने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जानकारी दी जा रही है। विभाग का मानना है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं रहने की वजह से ज्यादतर पशु लंपी संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में पशुपालक लंपी संक्रमण से बचाव के लिए पशुओं को उपयुक्त दवाओं के साथ-साथ रोग प्रतिरोधत क्षमता बढ़ाने को लेकर पारंपरिक पद्धति से आयुर्वेदिक दवा का मिश्रण तैयार कर पशुओं को खिलाना जरूरी है।जिला पशुपालन विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार एक मिश्रण को संक्रमित पशुओं को खिलाने व दूसरे मिश्रण को संक्रमित पशुओं के घाव पर लगाने के लिए तैयार किया जाएगा। संक्रमित पशुओं के मिश्रण को खिलाने के लिए विभाग ने समय का भी निर्धारण किया है। जिसको विभाग जागरूकता अभियान के दौरान पशुपालकों को बता भी रहा है। पशुपालकों को पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 2 लहसून की कलियां, 10 ग्राम धनिया, 10 ग्राम जीरा, 10 ग्राम दालचीनी का पत्ता, 10 ग्राम काली मिर्च, 3 पान का पत्ता, 2 प्याज का नग, 10 ग्राम हल्दी पाउडर, 30 ग्राम चिरायता के पत्ते का पाउडर, 1 मुट्ठी बेसिल का पत्ता, 1 मुट्ठी बेल का पत्ता, 1 मुट्ठी नीम का पत्ता व सौ ग्राम गुड़ का मिश्रण तैयार करना होगा।
कहते हैं अधिकारी : लंपी जैसे खतरनाक संक्रमण से बचाने के लिए विभाग द्वारा पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की तैयारी की गई है। सभी प्रखंड मुख्यालय व ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक पद्धति से बनाए गए आयुर्वेदिक दवा (अलग-अलग जड़ी-बुटी) के मिश्रण को पशुओं को खिलाने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जानकारी दी जा रही है।








